देहरादून. उत्तराखंड (Uttarakhand) बनने के बाद इन 20 सालों में कॉर्बेट नेशनल पार्क (Corbett National Park) में बहुत बदलाव हुए. यहां रोजगार के लिए 3 नए जोन खोले गए, जहां जाने के लिए पर्यटक आतुर रहते हैं. कॉर्बेट नेशनल पार्क वन्यजीवों की पसंदीदा आरामगाह है. राज्य बनने के बाद रोजगार को ध्यान में रखते हुए यहां नए पर्यटन जोन खोले गए, जिससे लोगों को रोजगार तो मिला ही, साथ ही यह लोग वन्यजीवों के प्रति जागरूक भी हुए. जिससे संरक्षण को भी बढ़ावा मिला है. वन्यजीव प्रेमी और बाघ बचाओ समिति के अध्यक्ष मदन जोशी (Madan Joshi) कहते हैं कि उत्तर प्रदेश के समय कॉर्बेट में बहुत कम पर्यटक आया करते थे. लेकिन राज्य बनने के बाद यहां पर्यटन के लिए नये जोन बनाये गए. और स्थानीय लोगों की भागीदारी यहां होने वाले पर्यटन से सुनिश्चित की गई.
इसका असर यह हुआ कि यहां के लोग वन्यजीवों के प्रति जागरूक हुए, जिससे जहां स्थानीय लोगों को रोजगार मिला, वहीं यहां बाघ और हाथी जैसे वन्यजीवों की संख्या में भी इजाफा देखा जा रहा है. वहीं, कॉर्बेट के निदेशक राहुल बताते हैं कि 2010 में टाइगर रिजर्व का नोटिफिकेशन हुआ. इसके बाद सोना नदी वन्यजीव विहार, कालागढ़ डिवीज़न विधिवत रूप से कॉर्बेट का हिस्सा बन गए.
लालढांग गांवों का विस्थापन किया गया
वहीं, कॉर्बेट में बाघों की बढ़ती संख्या को देखते हुए यहां से धारा, झिरना, कोठिरौ और लालढांग गांवों का विस्थापन किया गया, जो अब बाघों के प्रिय पर्यावास हैं. इसके साथ ही झिरना, ढेला और गर्जिया जैसे नए टूरिज्म जोन खोले गए. इसके साथ-साथ मैन-एनिमल कॉन्फ्लिक्ट को देखते हुए ढेला में रेस्क्यू सेंटर और पांखरो में टाइगर सफारी का काम अभी गतिमान है. अलग राज्य बनने के बाद से कॉर्बेट का रामनगर की आर्थिकी में बड़ा योगदान है. जिससे मिल रहे रोजगार का ही असर है कि यहां वन्यजीव अपने प्राकृतिक आवास में फल फूल रहे हैं, जो किसी भी वन्यजीव प्रेमी को सुकून देने वाला अनुभव है.